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भारत में प्रमुख फसलों की खेती की लागत के अध्ययन के लिए व्यापक योजना

सीएस प्रभाग केंद्रीय क्षेत्र प्लान योजना “भारत में प्रमुख फसलों की खेती की लागत के अध्ययन के लिए व्यापक योजना (सीएस योजना)” का वर्ष 1971 से कार्यान्‍वयन कर रहा है। इस योजना में एक अच्छी तरह से डिजाइन किए गए वैज्ञानिक नमूना पद्धति का अनुसरण करते हुए तुलनात्मक और व्यापक आधार पर भौतिक और मौद्रिक रूप में आदान और उत्पादन पर प्रतिनिधि आकड़ों के संग्रह की परिकल्पना की गई है, जिसे विशेषज्ञ समितियों द्वारा समय-समय पर डिज़ाइन किया गया है और जिसकी इस उद्देश्य के लिए गठित समितियों द्वारा समय-समय पर समीक्षा की जाती है। वर्तमान नमूना डिजाइन एक त्री-स्‍तरीय रैन्‍डम नमूना है जिसमें तहसील इसकी प्रथम स्‍तर की इकाईयों के रूप में, गांवों का समूह दूसरे स्‍तर के इकाईयों के रूप में एवं समूह में एक प्रचालनात्‍मक जोत अद्वितीय स्‍तर इकाई के रूप में होती है। नमूने का रेखचित्र बनाने के उद्देश्‍य से प्रत्‍येक राज्‍य विभिन्‍न कृषि जलवायु क्षेत्रों में जलवायु, मृदा का प्रकार, फसल ढ़ाचां इत्‍यादि के आधार पर विभाजित की गई है। क्षेत्रीय डाटा लागत प्रभावी पद्धति पर 19 राज्‍यों में फैली 8100 नमूना प्रचालनात्‍मक जोतों के द्वारा एकत्रित किया जाता है। दैनिक डेबिट/व्‍यय के क्रेडिट/कुल लागत के मूल्‍यांकन करने के लिए प्राप्‍त आय/प्राप्‍त लाभ/योजना के तहत कवर किए गए प्रत्‍येक किसान को लाभ की प्रविष्‍टि की जाती है।

वर्तमान में योजना में 25 फसलों (धान, गेहूँ, ज्‍वार, बाजरा, मक्‍का, रागी, जौ, मूंग, उड़द, अरहर, चना, मसूर, मूंगफली, रेपसीड तथा सरसों, रामतिल, कुसुम्‍भ, सोयाबीन, सुरजमुखी, तिल कपास, पटसन, गन्‍ना, प्‍याज, आलू और नारियल) को कवर किया जाता है और इन फसलों को तीन वर्षों के एक खंड अवधि के लिए चयनित किया जाता है। योजना के तहत एकत्र डाटा से तैयार किए गए खेती की लागत/उत्‍पादन अनुमान को सीएसीपी द्वारा विभिन्‍न फसलों के एमएसपी की घोषणा करते समय एक महत्‍वपूर्ण इनपुट के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, डाटा का उपयोग एमओएसपीआई द्वारा राष्‍ट्रीय लेखा सांख्‍यिकी को तैयार करने में भी किया जाता है। विभिन्‍न नीति निर्णयन हेतु आवश्‍यक विपणन अधिशेष अनुपात का सकंलन भी डाटा से किया जाता है।

वर्तमान में, योजना का कार्यान्‍वयन 16 विश्‍वविद्यालयों/महाविद्यालयों के माध्‍यम से 19 राज्यों में किया जा रहा है जिन्‍हें राज्‍य कार्यान्‍वयन एजेंसियां (आईए) के रूप में भी जाना जाता है। कार्यान्‍वयन एजेंसियों को अनुदान सहायता के माध्‍यम से निधियां जारी की जाती है। अनुदान सहायता वेतन, भत्ते और सीएस योजना के तहत कार्यान्‍वयन एजेंसियों के कार्यरत कर्मचारियों और कार्यालय व्ययों की पूर्ति के लिए है।

अंतिम अद्यतन : 19-07-2022, 11:52 पूर्वाह्न